दिल्ली में वायु प्रदूषण: एक गंभीर समस्या और स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव | Best homeopathic medicine for respiratory issues
- Dr. S.K. Khare BHMS

- 1 दिन पहले
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दिल्ली, भारत की राजधानी, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, संस्कृति और विकास के लिए जानी जाती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बन गया है। विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में, जब दिवाली जैसे त्योहार आते हैं, वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है। आज, 22 अक्टूबर 2025 को, दिवाली के बाद दिल्ली की हवा में जहरीली धुंध छाई हुई है, जो निवासियों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन रही है। इस ब्लॉग में हम दिल्ली के वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति, कारण, प्रभाव, समाधान और कुछ होम्योपैथिक दवाओं के सुझाव पर चर्चा करेंगे। ध्यान दें कि ये सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं; किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
वर्तमान स्थिति: दिवाली के बाद जहरीली हवा
दिवाली के पटाखों के बावजूद, जो कि अदालत द्वारा प्रतिबंधित थे, दिल्ली की हवा की गुणवत्ता "बहुत खराब" श्रेणी में पहुंच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 21 अक्टूबर 2025 को AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 350 तक पहुंच गया, जो "खतरनाक" स्तर पर है। अगले दिन, 22 अक्टूबर को भी AQI लगभग 356 रहा, और PM2.5 का स्तर WHO के मानक से 15 गुना अधिक हो गया। IQAir की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किया गया है, जहां AQI 200 से ऊपर "बहुत अस्वास्थ्यकर" माना जाता है। दिवाली के दौरान पटाखों से प्रदूषण 70% तक बढ़ जाता है, जो बीजिंग के सबसे खराब रिकॉर्ड से भी अधिक है। पंजाब-हरियाणा में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं 77% कम होने के बावजूद, शहर की हवा और जहरीली हो गई है।
कारण: प्रदूषण के मुख्य स्रोत
दिल्ली के वायु प्रदूषण के कई कारण हैं:
वाहन उत्सर्जन: शहर में लाखों वाहन रोजाना धुआं छोड़ते हैं, जो PM2.5 और NO2 जैसे प्रदूषकों को बढ़ाते हैं।
फसल अवशेष जलाना: पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाना हवा में धुंध पैदा करता है, हालांकि इस साल यह 77% कम हुआ है।
उद्योग और निर्माण: फैक्टरियां और निर्माण कार्य धूल और रसायनों को हवा में मिलाते हैं।
त्योहार और मौसम: दिवाली के पटाखे और सर्दियों में हवा का ठहराव प्रदूषण को फंसाता है।
भाव: स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर
वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियां जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, COPD और हृदय रोग बढ़ते हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर सबसे अधिक होता है। WHO के अनुसार, प्रदूषण से हर साल लाखों मौतें होती हैं। दिल्ली में, यह प्रदूषण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, आंखों में जलन, सिरदर्द और थकान पैदा करता है। लंबे समय में, यह कैंसर का खतरा भी बढ़ाता है।

समाधान: क्या किया जा सकता है?
सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे पटाखों पर प्रतिबंध, ऑड-ईवन योजना और GRAP (Graded Response Action Plan)। व्यक्तिगत स्तर पर:
मास्क पहनें (N95)।
घर में एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें।
पेड़ लगाएं और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए ऐप्स जैसे AQI India का इस्तेमाल करें।
होम्योपैथिक दवाओं के सुझाव: श्वसन समस्याओं के लिए
होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, और वैज्ञानिक अध्ययनों में इसके प्रभाव पर मिश्रित राय है। कुछ अध्ययन सुझाते हैं कि यह ऊपरी श्वसन संक्रमणों में मदद नहीं करती, जबकि अन्य इसे क्रॉनिक श्वसन स्थितियों जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में उपयोगी मानते हैं। हमेशा योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श लें, और यह पारंपरिक चिकित्सा का विकल्प नहीं है। यहां प्रदूषण से जुड़ी श्वसन समस्याओं (जैसे सूखी खांसी, आंखों में जलन) के लिए कुछ सामान्य सुझाई गई दवाएं हैं:
Bryonia: सूखी और दर्दनाक खांसी के लिए, जहां गति से दर्द बढ़ता है।
Allium Cepa: आंखों से पानी आना, नाक बहना और छींकें आने पर उपयोगी।
Kali Bichromicum: गाढ़ा बलगम और साइनस समस्याओं के लिए।
Antimonium Tartaricum: फेफड़ों में बलगम जमा होने और सांस लेने में कठिनाई पर।
ये दवाएं व्यक्तिगत लक्षणों के आधार पर ली जाती हैं। अध्ययनों में होम्योपैथी को अस्थमा में प्रभावी नहीं पाया गया है, इसलिए मुख्य रूप से रोकथाम पर ध्यान दें, जैसे घर के अंदर रहना और स्वस्थ आहार।
दिल्ली का प्रदूषण एक सामूहिक समस्या है। हमें मिलकर इसे कम करने की जरूरत है। अपनी राय कमेंट में शेयर करें!

























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